राजेंद्र चोल के नौसेना अभियान का उत्सव– प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित, कुलगुरू, जेएनयू
एक हजार साल पहले, एक भारतीय शासक ने ऐसा कार्य किया, जो संभवतः भारतीय उपमहाद्वीप से संचालित सबसे साहसी समुद्री अभियान रहा होगा। राजेंद्र चोल प्रथम, महान चोल वंश के वंशज, ने अपने पूर्वजों के समुद्री सीमा की रक्षा के उद्देश्य को पार कर समुद्र पर शक्ति का प्रक्षेपण किया। उनके अभियानों से भारतीय प्रभाव वर्तमान के इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड तक फैला था, जिसने श्रीविजय साम्राज्य की नौसैनिक शक्ति को चुनौती दी और चीन के संग वंश के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध स्थापित किए। हमारे सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ने हाल ही में गंगैकोंडाई चोलापुरम, स्थित राजा राजेंद्र चोल की राजधानी, की अपनी यात्रा के माध्यम से इस सभ्यतागत धरोहर का जश्न मनाया जिससे भारत की प्राचीनतम समुद्री गाथा का पुनः स्मरण हो गया। प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण और मिशन सभी भारतीयों को हमारी ऐतिहासिक जड़ों से जोड़ना है और हमें अपने गौरव की इस स्मृति में एकजुट करना है।, जिससे हमारे राष्ट्रीय स्मृति का निर्माण करना, परंपराओं को आधुनिकता से जोड़ना, क्षेत्र का संबंध क्षेत्र से, निरंतरता परिवर्तन से, ...